Arunima Sinha Biography In Hindi
अरुणिमा सिन्हा एक भारतीय बेटी है जिन्हाने माउंट एवेरेस्ट की चोटी को फतेह करने वाली पहली भारतीय बिकलांग महिला बनी। उन्हने ना की सिर्फ भारत का नाम रोशन किया बल्कि पूरी दुनिया को ये बताये की दृढ़ संकल्प और साहस रखने से इंसान कसी भी खेत्र में सफलता हासिल कर सकता है। अरुणिमा एक पर्वतारोही के साथ साथ नेशनल स्तर के वोल्ली बॉल खिलाड़ी भी रहे चुकी है। आज हम इस आर्टिकल अरुणिमा सिन्हा की जीवनी (Arunima Sinha Biography In Hindi) में अरुणिमा सिन्हा के पुरे करियर और सम्पूर्ण जीवनी के बारे में जानेंगे की कैसे एक लड़की जिसकी एक पैर ना होने के बाबोजूत भी अपने लक्ष्य को प्राप्त की और पुरे दुनिया के लिए एक उदाहरण बानी।
Arunima Sinha Wiki
नाम | अरुणिमा सिन्हा |
उपनाम | “सपनों की रानी” (“Queen of Dreams”) |
जन्मस्थान | अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश |
होम टाउन | आंबेडकर नगर |
जन्म तारीख | 20th जुलाई 1989 |
उम्र | 34 साल |
धर्म | हिन्दू |
शिक्षा | माउंटेनियरिंग |
प्रोफेशन | राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी और पर्वतारोही |
शोक | किताब पढ़ना , वॉलीबाल खेलना |
Arunima Sinha Biography In Hindi(अरुणिमा सिन्हा जीवनी)
अरुणिमा सिन्हा की जन्म 20 जुलाई साल 1989 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुआ था। बचपन से ही अरुणिमा को खेला में काफी दिलचस्वी थी। उन्हने फुटबॉल और वॉलीबाल में उत्तर प्रदेश के लिए राज्य स्टार का प्रतिनिधित्य भी की । बचपन से ही अरुणिमा काफी हुसिया और खेल कूद में रूचि रखने वाली लड़की थी। साल 2008 में अरुणिमा ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में हेड कांस्टेबल के रूप में भी अपना योगदान दिया ।
Arunima Sinha Family
अरुणिमा सिन्हा का जन्म उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुआ था। उनके पिता एक सेना के इंजीनियर थे और उनकी माता स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर थीं। जब अरुणिमा तीन साल की थे तब उनका पिता की निधन हो गया था । अरुणिमा ने अपने बचपन में बहुत संघर्ष किया और उन्हें अपने परिवार का समर्थन करने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ी। जैसे ही समय बीतता गया अरुणिमा को अपने करियर के साथ साथ अपने परिवार का भी जिम्मेदारी उठानी पड़ी।
अरुणिमा सिन्हा की शादी गौरव सिंह से हुई है। गौरव सिंह एक पूर्व सेना अधिकारी हैं। इनका एक बेटा और एक बेटी है। अरुणिमा सिन्हा का परिवार उनका बहुत समर्थन करता है और उन्हें उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। आज अरुणिमा अपनी एक खुसाल जिंदगी बिताती है ।
प्रारम्भिक जीवन और करिअर (Early Life & Career)
अपनी सुरुवाती समय में अरुणिमा ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में हेड कांस्टेबल के रूप में भी अपना करियर शुरू किया। उसके बाद उन्हने उत्तर प्रदेश के लिए वॉलीबॉल और फुटबॉल में प्रतिनिधित्व भी की । साल 2011 में एक हदशा के कारन अरुणिमा ने अपनी एक पैर खो दी जिसके कारन उनको कोई कठिनाईओ का सामना भी करनी पड़ी। लेकिन उन्हने कभी हार नहीं मानी। अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण में उन्हें पर्वतारोहण के सभी पहलुओं, जैसे कि तकनीक, उपकरण, और सुरक्षा के बारे में सिखाया गया।
अरुणिमा ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक अभियान शुरू किया। इस अभियान में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अरुणिमा ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस के कारण 21 मई 2013 को, अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की। वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला बनीं।
Arunima Sinha Husband
02 जून 2018 को अरुणिमा में गौरव सिंह से शादी की । गौरव सिंह एक पूर्व सेना अधिकारी हैं। उन दोनों का आज एक बीटा और एक बेटी भी है। अरुणिमा अपने पुरे परिवार के साथ उत्तर प्रदेश में रहते है। वो अपने परिवार के साथ बहत खुस भी है। अपने ज़िन्दगी के कोई समस्या और चुनातियों के बाबोजूत अरुणिमा ने आज एक बेहतर ज़िन्दगी बिताती है ।
Arunima Sinha Accident
अरुणिमा के ज़िन्दगी में सबसे बड़ा मुशीबत तब आयी जब 12 अप्रैल 2011 को, अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं, तब कुछ अपराधियों ने उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इस घटना में उनका बायां पैर बुरी तरह से घायल हो गया और उन्हें काटना पड़ा। उस घटना के बाद अरुणिमा के ज़िन्दगी लगभत ख़त्म हो चुकी थी। लेकिन उनहने कभी खुदको हार मानने नहीं दी। और दृढ़ सकल्प और साहस के कारण दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला बानी। सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बनी।
Arunima Sinha Awards
अरुणिमा सिन्हा को उनके साहस और दृढ़ संकल्प के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्मश्री, भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, और अशोक चक्र, भारत का तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान से सम्मानित किया गया है। साल 2015 में उनको एडवेंचर अवार्ड से समान्नित किया गया। साल 2016 में उनको फर्स्ट लेडी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। यश भारती अवार्ड , रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड, मलाला अवार्ड जैसे कोई पुरष्कारो से उनको सम्मानित किया गया है।
अरुणिमा सिन्हा की प्रेरक बातें
- “मैंने कभी भी हार नहीं मानी, और मैंने हमेशा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है।”
- “मैं चाहती हूं कि लोग मेरी कहानी सुनें और यह सीखें कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और साहस है, तो आप कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।”
- “मैं दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करना चाहती हूं, खासकर महिलाओं और विकलांग लोगों को।”
निष्कर्ष
अरुणिमा सिन्हा एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, जो दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती हैं। आज पूरी दुनिया के लिए अरुणिमा एक उदाहरण है की कैसे अपने ज़िन्दगी को बेहतर बनाया जा सकता है। उनकी कहानी यह बताती है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और साहस है, तो आप कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
FAQ: Arunima Sinha Biography In Hindi
Q1: अरुणिमा सिन्हा कौन है?
Ans: अरुणिमा सिन्हा एक भारतीय बेटी है जिन्हाने माउंट एवेरेस्ट की चोटी को फतेह करने वाली पहली भारतीय बिकलांग महिला बनी।
Q2: अरुणिमा सिन्हा के साथ क्या हुआ?
Ans: 12 अप्रैल 2011 को, अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं, तब कुछ अपराधियों ने उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इस घटना में उनका बायां पैर बुरी तरह से घायल हो गया और उन्हें काटना पड़ा
Q3: अरुणिमा सिन्हा ने कितने पहाड़ों पर चढ़ाई की?
Ans: अरुणिमा ने छे प्रमुख पहाड़ो पर चढ़ाई कर चुकी है । जो की एक बिकलग महिला के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड है ।
Q4: अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी कैसे की?
Ans: अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण में उन्हें पर्वतारोहण के सभी पहलुओं, जैसे कि तकनीक, उपकरण, और सुरक्षा के बारे में सिखाया गया।
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